मेरी आवारगी

स्मृति शेष : कुछ चिट्ठियां के जवाब कभी नहीं आते, लेकिन ये लिखी जाती रहेंगी !

     फोटो साभार : सोशल मीडिया 

मेरे प्रिय अभिनेताओं,

इरफान खान और ऋषि कपूर साहब मैं आप दोनों से कभी नहीं मिला, लेकिन यूं लगता ही नहीं कि आपसे कोई वास्ता नहीं है। आपको दुनिया को अलविदा कहे पांच साल गुजर गए। सच कहते हैं लोग कि वक्त के पंख लगे होते हैं। आपसे रूबरू मुलाकातें भले न हुई हों, लेकिन आपका पर्दे पर जिया हर किरदार मेरे दिल के करीब रहा है। मैं फिल्म समीक्षक नहीं हूं। बस आपके अभिनय का मुरीद हूं। इसलिए आपके किरदारों के माध्यम से आपसे हुए जेहनी जुड़ाव के मार्फत ही आपको पत्र संप्रेषित कर रहा हूं। मैं आपकी फिल्मों के नाम लेकर एक-एक किरदार पर भी बात कर सकता हूं, लेकिन आप दोनों की अदाकारी के किस्से मेरे हिस्से में जितने भी आए हैं। वो अब यहां दर्ज करने में ये पत्र बहुत लंबा हो जायेगा। मुझे पता है कि इस खत का कोई जवाब नहीं आयेगा, लेकिन मेरा लिखा एक- एक शब्द आप दोनों को शब्दांजलि है। उम्मीद कि आप दोनों जहां भी होंगे अपनी खुशबुएं लुटा रहे होंगे। क्योंकि आपके किरदारों में जो अभिनय की खुशबू रची बसी थी, वो कभी खत्म नहीं हो सकती है। मुझे लगता है कि आपने अभिनय को नहीं चुना, बल्कि अभिनय ने ही आप दोनों को चुना था। जैसे कुछ कहानियां अपने किरदारों को खुद चुनती हैं, ठीक वैसे ही अभिनय ने आपको चुना। मेरे लिए आप दोनों के जिए किरदारों से जुड़ना एक रूहानी सा अहसास है। 

मेरे प्रिय अभिनेताओं, 

मुझे लगता है कि एक कलाकार जितने किरदार जीता है, उसके दुनिया से जाने के बाद वो सारे किरदार उसके चाहने वालों के आस-पास तैरने लगते हैं। जैसे वहां की हवा वो उन तमाम यादों का धुआं हो, जिसमें फिलवक्त आप सांस ले रहे हैं। मेरे लिए अपने चहेते कलाकारों को याद करना तो कुछ ऐसा ही है। उनके जीवित रहते तो आप उन्हें देखते-सुनते हुए यादों का समंदर रचते रहते हैं, लेकिन उनके जाने के बाद आप बस उस एक धुंध में होते हैं, जो छटती ही नहीं है। उनके बोलने का अंदाज, हाव-भाव, उनके पर्दे पर जिये किरदार सब आपके आस-पास नाचते रहते हैं। मन के पर्दे पर एक अलग ही तरह की फ़िल्म चल रही होती है, जिसकी रील सालों से आपके अंदर थोड़ा-थोड़ा करके जमा हो रही थी। और अब उस फिल्म का पटाक्षेप होने जा रहा है, उसका आखरी दृश्य जैसे कुदरत ने फिल्मा दिया है। बस यही उसका अंत है।

मेरे प्रिय अभिनेताओं , 

आप जैसे कलाकारों के जाने के बाद मन बहुत भारी हो जाता है। इसलिए नहीं कि हमारे चहेते कलाकारों के अभिनय ने हमारे अंदर घर कर दिया है या उनके जिये किरदार हमारी रूह पर अपने दस्तख़त करके चले गए हैं। इसलिए भी नहीं कि दुनिया में घटी कुछ सच्ची घटनाओं पर बनी फिल्मों से वो हमसे और हमारे अंतस से रूबरू हुए थे या कभी हमें गहरे तक झगझोरा था। वो इसलिए है कि उनके हर जिये किरदार को एक आम दर्शक ढाई या तीन घंटे में कई बार खुद भी पूरा का पूरा जी जाता है और वो उससे एक ऐसा रिश्ता कायम कर लेता है, जो कभी टूटता ही नहीं है। अपने चहेते कलाकार की हर वो देखी फिल्म जिसे आपने जिया हो, वो किरदार जो आपके दिल के करीब रहा हो। यूँ लगता है जैसे वो आपसे बातें करता है। आप उस किरदार ही नहीं बल्कि पूरी की पूरी शख्सियत से अपना एक अदद रिश्ता बना लेते हैं। ये अनाम रिश्ता भी केवल आपका अपना ही है, जिसे केवल आप ही जीते हैं। ऐसे रिश्तों को शायद किसी और की जरूरत भी नहीं होती है। वो तो खुद ही जिये जाते हैं। एक आम आदमी फिल्मी पर्दे पर अपने चहेते नायकों के साथ कहानी के किरदारों को कुछ ऐसे ही जी जाता है कि उसके जाने के बाद सब कुछ छूट गया सा लगता है, टूट गया सा लगता है। ऐसे रिश्तों का बस एक ही आधार होता है, हमारी भावनाएं जो हमें हर उस किरदार से जोड़ देती हैं, जो पूरी ईमानदारी और सच्चाई से जिया जाता है। कहते हैं कि एक उम्दा किरदार की खुशबू से पूरी की पूरी कहानी ही महक उठती है। आप दोनों कलाकारों ने कई कहानियों को अपने अभिनय से यूँ गढ़ दिया है कि वो अपने वक्त में अदाकारी का सबसे खूबसूरत हस्ताक्षर बन गई हैं। 

मेरे प्रिय अभिनेताओं, 
मेरे अंदर भी अपने चहेते किरदारों और उन कलाकारों के अनाम रिश्तों का ऐसा ही संसार है, जो हर उस अपने कलाकार के दुनिया से जाने के बाद दरक जाता है। जैसे आप दोनों के जाने के बाद हुआ था। बीते कुछ सालों में इसमें कई दरारें पड़ गई हैं। साल दर साल अपने कई चहेते कलाकारों का जाना हमेशा अवसाद भरा रहता है। आपका जिया हर वो किरदार जो हमारे दिलों के करीब है, उससे ये अनाम रिश्ते हम सभी ने बनाए हैं। मेरे जैसे और भी कई होंगे, जिन्होंने बिना जवाब पाने की इच्छा के अपने किरदारों से कभी बतकही भी की होगी तो कभी मन ही मन ढेर सारी चिट्ठियां भी लिखी होंगी। ये और है कि लिखी गई ऐसी चिट्ठियों के कभी जवाब नहीं आते ...!! मैं भी बस उसी कड़ी में आप दोनों को ये एक और खत लिख रहा हूं।

मेरे प्रिय अभिनेताओं, जवाब पाने की इच्छा के बिना भी ये चिठ्ठियां हमेशा लिखी जाती रहेंगी, क्योंकि संवेदनाओं का संसार बड़ा निराला है। भावनाएं बहुत प्रबल होती हैं। आपसे वे कुछ भी करा सकती हैं। मन ही मन कभी आपने भी शायद किसी को चिट्ठी लिखी हो, लेकिन जवाब पाने का कभी इंतजार भी न किया हो। शायद ऐसे अनाम रिश्तों की यही खूबसूरती है कि वो खामोशी से अपने पूरे हासिल के साथ बीत जाते हैं और जाते-जाते सबक दे जाते हैं कि कभी अलविदा न कहना...!

- आप दोनों की अदाकारी का एक मुरीद 

© दीपक गौतम

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