मेरी आवारगी

सिवाय इश्क फकीरी के कुछ नहीं है...चल सको तो चलो

चित्र : हमारे झुनझुने से प्रेम के अंनत आकाश का।

मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ...एक नहीं हजार बार कहूँगा और कहता रहूँगा। और यही मेरी सबसे बड़ी ताकत है। इसके इतर मेरे पास और है भी क्या जिसके लिए इतना दम भर सकूँ। मगर इतना जानता हूँ कि यही वो कुछ है जिससे दुनिया की तमाम कठिनाइयों को पार किया जा सकता है। इस अनमोल खजाने को बनाए और बचाए रखने में साथ रहना। बाकी सब इसके सामने गौण है। जिन दीन-दुनियावी चीजों को इकट्ठा करने के लिए हम दिन रात मरे रहते हैं अक्सर वो जीने और खुश रहने के लिए कम पड़ जाया करती हैं। जब समय निकल जाता है तब लगता है कि यदि प्रेम होता तो तमाम अभावों में भी जी सकते थे एक जोड़ा साझा मुस्कान के साथ या दो जोड़ा आँखों से टपकते चार-चार बूँद आंसुओं के साथ।
     मैं तो फकीर ही हूँ सिक्कों से कभी याराना नहीं रहा दुनिया के बाजार में जो नकार दिए गए हैं उन्हीं प्यार के मोतियों कायल हूँ। समझ सको तो समझ लेना। मानता हूँ कि नोट जरूरी हैं जीने के लिए, प्रसिध्दि चाहिए बड़ा होने के लिए और ऊंचाई चाहिए सबसे आगे दिखने के लिए। मगर ये भी कहो कि अगर ये सारी माया हुई और तुम्हारी हिरणी सी आँखों में देख न सके खुद को तो क्या मजा जीने का। लाख महल खड़े हों सोने के उनमें तुम्हारी मुस्कान न गूंजे तो क्या जीना। बेकार हो जाएगा सबकुछ पाना अगर कतरा-कतरा जुटाने में प्रेम बिखर जाए।
     मुझे तुम्हारी कामयाबी से प्रेम नहीं हुआ है। मैं तो बस तुम्हारी आँखों में वो भाव देख पाया था जो जीने के लिए सबसे जरूरी होता है, जहाँ पहुंचकर दुनिया की और तमाम चीजें गौण हो जाया करती हैं। वो सरल और निश्छल आँखें जिनमें अपनापन और साथ चलने का हौसला दिखता है। अगर समय कठिन है तो क्या हुआ, हम साथ चलेंगे थकान कम महसूस होगी। किसी अंधी दौड़ के चक्कर में आज को क्यों जाया करते हो, दो और दो चार कदम हैं हमारे पास मंजिल आ ही जाएगी। जीवन बेहद सरल है इसे प्रसिध्दि, पैसा, हजारों महत्वाकांक्षाओं और व्यवहारिक तौर से जीने के नाम पर कठिन मत बनाओ। ये बातें भावनात्मक लफ्फाजी, चिल्लर चिंतन या ज्ञान की पुड़िया का चूर्ण नहीं हैं। मैं इसी धुरी पर घूमता हूँ और यकीनन जीवन भर यहीं टिका रहूँगा। मुझे तुम रोगी समझो जोगी या बस भावों से भरा मन। मेरे पास यही संबल है और इसी में जीना-मरना चाहता हूँ। यकीन मानो तुम्हें महलों सा सुख पेड़ के नीचे हरी घांस में भी मिलेगा। हो सकता है तुम्हें शब्द-शब्द कोरी बकवास सा लगे और व्यवहारिक न लगे। पता नहीं तुम इसे पढ़ो भी या नहीं। मगर व्यवहारिक और यथार्थ में होना कल्पनाओं में होने से अलग है। मैं भावनाओं के यथार्थ में हूँ, ये बहुत बलवती हैं और इंसान को हर इल्म का अहतराम कराती हैं। इनके सहारे सपनों में रंग भरे जा सकते हैं, यकीन मानो।
    मैं जानता हूँ तुम थे, हो और रहोगे। न जाने क्यों कभी-कभी अजीब सा लगता है। क्या असफलता और सफलता ही प्रेम पाने का पैमाना होगा। कल मैं सफलता की दुनियावी परिभाषा गढ़ने में विफल हो जाऊं तो क्या नकार दिया जाऊंगा। यकीन रखो मैं प्रेम के सम्मोहन में हूँ। ये मुझे हारने नहीं देगा, तुम बस धैर्य रखो। प्रेम बहुत सरल है मगर इसकी राह कठिन है। तुम रहबर हो तो हम दूर तक जाएंगे। आओ न चलें अब देर हो रही है...!!
#आवाराकीडायरी

Post a Comment

0 Comments