सवाल बहुत से हैं जो मुंह बाए खड़े हैं, प्रेम यथार्थ है और जीने का वह भाव है, जो इन सारे झंझावातों से परे है. मैं मानता हूं कि जो साजिश के लिए इस्तेमाल हो जाए, धर्म बदल दे, आपको गुलाम बना दे, आपको बदल दे वो प्रेम हो ही नहीं सकता. प्यार वो पवित्र भाव है जिसमें पूर्णता के बारीक रेशे होते हैं, जो व्यक्ति को आजादी देते हैं. जबरन प्यार न किया जा सकता न ही कराया जा सकता है. प्रेम में कोई बंदिश नहीं होती, साजिश नहीं होती. अगर है तो वहां प्रेम है ही नहीं. प्रेम बहने का नाम है, किसी को उसकी समग्रता के साथ महसूसने का नाम है. प्रेम के नाम पर फरेब हो सकते हैं, मगर प्रेम फरेब नहीं हो सकता है. वो न कल झूठ था न आज है और न ही भविष्य में रहेगा. हाल ही में कई टीवी चैनलों में लव-जिहाद के मुद्दे पर बड़े-बड़े प्रबुद्धों और एंकरों की बहसों को सुना. अजीब लगता है ये देखकर कि इस पर बहस हो रही है. मुझे लगता है इश्क के नाम पर जो छिछला है वो खुद-ब-खुद सामने आएगा और प्रेम वहीं ठहरा रहेगा....अपनी शांत प्रकृति की तरह फिजा में बहता हुआ हर किसी के लिए.
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