मेरी आवारगी

एक पत्र सखी के नाम : हे सखी, मैं मनुष्यता की ओर बढ़ने के लिए तुम्हारा स्त्रीत्व पाना चाहता हूं।
एक पत्र भांजी के नाम : याद रखना तुम्हारी हंसी से बेहतर दुनिया में कुछ भी नहीं है
मैं अपना हाल ए दिल कैसे बयां करूं
मैं हंसता रहा हड्डियां टूट जाने के बाद
प्रेम हर जख्म का सबसे बड़ा मरहम है।
बेटी के नाम 11वीं पाती : तुम्हारे साथ जिया वक्त ही इस समय का असल हासिल है।
आवारा की डायरी - 3 कड़ी में पढ़िए :-रिश्ते का मैलापन इश्किया बारिश में धुलकर वो आगे बढ़ गए थे।
बेटी के नाम दसवीं पाती : मैं तुम्हारी शहद से भी मीठी बातों की मिसरी को बहुत याद कलूंगा।
एक कविता :  पिता जीवन का सबसे बड़ा संबल हैं
मैं तुम्हारी छुअन से 'सोना' होना चाहता हूँ
मैं मरते ही 'शब्द' हो जाऊंगा, तुम्हें गाँव पर लिखी किताबों में मिलूँगा...!!
बड़ा मुश्किल है प्रेम में अलविदा कहना
आवारा की डायरी 2 कड़ी में पढ़िए : जिंदगी में मोहब्बत का साइक्लोन फिर से दस्तक दे चुका था
"आवारा की डायरी" - १ कड़ी में पढ़िए : - जख्म पर तुम्हारी यादों के फाहे रख दिए हैं
गाँव की दूसरी चिट्ठी का जवाब : मैं अपनी चिता भस्म से तुम्हारी बूढ़ी काया का श्रृंगार करूंगा